प्रेम (कविता) स्वैच्छिक प्रतियोगिता हेतु -11-Feb-2024
दिनांक- 11. ०2. 2024 दिवस- रविवार स्वैच्छिक विषय- प्रेम
पथ पर जिससे भी प्रेम मिला, सदा उसका मान बढ़ा देना। त्रुटि से भी कोई त्रुटि ना हो, तुम काम सदा ऐसा करना।
जो भी तुमको जाना- समझा, वह बेटा तुम पर नाज़ करें। कुछ दिन में तुमको भुला ना दे, तू सदा ही ऐसा काज करे।
उसके मन के एक कोने में, छोटा सा घर एक तेरा हो। जिसमे यादों के फूल खिले, नित हँसता हुआ सवेरा हो।
तेरी हमदर्द सदा मैं रहूंँ, दिल- दिमाग में मेरे सदा तू रहे। सपना बनकर तिरे आंँखों में, हर प्रेम का क़र्ज़ अदा तू करे।
बन जा अपनों की धड़कन तू, हर सांँसों में तेरा वास रहे। खुशियों की डोर लगे ऐसी, जहांँ वास सदा मधुमास रहे।
दुनिया की काली नज़रों से, तू अपने को छुपा लेना। विश्व मंच पर तेरा यश गूँजे, सत्कर्म तू इतना जुटा लेना।
तू खुशियों की फूल बने, तेरे अपने भंँवरे सम हों। आशीष का बकुचा मिले ऐसा, जिसमें लवलेश भी ना गम हो।
साधना शाही, वाराणसी
Shnaya
18-Feb-2024 09:15 AM
Nice one
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Mohammed urooj khan
13-Feb-2024 12:40 PM
👌🏾👌🏾👌🏾
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
12-Feb-2024 08:00 AM
बेहतरीन
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